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क्या आप जानते हैं विज्ञान के वो गुमनाम नायक कौन हैं जिन्होंने दुनिया को बदला?

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वैज्ञानिकों की अनसुनी कहानियाँ

वैज्ञानिकों का योगदान: विज्ञान के इतिहास में कई ऐसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने महत्वपूर्ण खोजें कीं, लेकिन उन्हें उचित पहचान नहीं मिली। किसी विचार या तकनीक का विकास करना महत्वपूर्ण है, लेकिन उसे मान्यता दिलवाना भी उतना ही आवश्यक है।

दुर्भाग्य से, कई वैज्ञानिकों की मेहनत को नजरअंदाज किया गया या उनके कार्य का श्रेय अन्य लोगों को दिया गया। उनके योगदान ने भले ही दुनिया को नई दिशा दी हो, लेकिन समय के साथ उनके नाम इतिहास में खो गए।


(रोजालिंड फ्रैंकलिन - Rosalind Franklin) - डीएनए संरचना डीएनए की संरचना की खोज

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डीएनए की संरचना की खोज को 20वीं सदी की सबसे बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धियों में से एक माना जाता है। अधिकांश लोग इस खोज का श्रेय जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक को देते हैं, लेकिन रोजालिंड फ्रैंकलिन का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान था, जिसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। उन्होंने एक्स-रे डिफ्रैक्शन तकनीक का उपयोग कर डीएनए की हेलिकल संरचना को उजागर किया। उनकी प्रसिद्ध ‘फोटो 51’ ने पहली बार डीएनए की डबल हेलिक्स संरचना का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत किया।

दुर्भाग्य से, उनके पुरुष सहयोगियों ने उनकी अनुमति के बिना इस फोटो और उनके शोध का उपयोग किया, और 1962 में वॉटसन, क्रिक और मौरिस विल्किंस को इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। रोजालिंड फ्रैंकलिन को उनके जीवन में वह पहचान नहीं मिली जिसकी वह हकदार थीं। 1958 में कैंसर के कारण उनका निधन हो गया, लेकिन अब उन्हें उनके योगदान के लिए गहरी सराहना और सम्मान दिया जाता है।


(जगदीश चंद्र बोस - Jagdish Chandra Bose) - रेडियो तरंगें रेडियो तरंगों का आविष्कार

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जगदीश चंद्र बोस ने रेडियो तरंगों और माइक्रोवेव तकनीक में अद्वितीय कार्य किया। 1895 में उन्होंने रेडियो तरंगों का सफल प्रदर्शन किया, जो गुग्लिएल्मो मारकोनी से पहले था। लेकिन उस समय भारतीय वैज्ञानिकों को वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली। बोस ने पेटेंट करवाने में रुचि नहीं दिखाई, जिसके कारण उनके आविष्कार का श्रेय उन्हें नहीं मिला। बाद में मारकोनी ने इसी सिद्धांत पर आधारित वायरलेस टेलीग्राफी विकसित की और इसके लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। अब विज्ञान जगत जगदीश चंद्र बोस के योगदान को स्वीकार कर रहा है।


(लिसे मीटनर - Lise Meitner) - नाभिकीय विखंडन नाभिकीय विखंडन की खोज

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लिसे मीटनर एक प्रतिभाशाली भौतिकविद थीं, जिन्होंने परमाणु विखंडन की प्रक्रिया को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यूरेनियम के विखंडन की वैज्ञानिक व्याख्या दी, जो आगे चलकर परमाणु ऊर्जा और बम के विकास की आधारशिला बनी। हालांकि, इस खोज का श्रेय उनके सहयोगी ओटो हान को दिया गया, जिन्हें 1944 में नोबेल पुरस्कार मिला।


(निकोला टेस्ला - Nicola Tesla) - एसी करंट एसी करंट और वायरलेस तकनीक

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जब बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बात आती है, तो थॉमस एडिसन का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन असल में, आधुनिक बिजली वितरण प्रणाली और एसी तकनीक के पीछे निकोला टेस्ला का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने वायरलेस ट्रांसमिशन और रेडियो तरंगों के कई आविष्कार किए। हालांकि, एडिसन के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें उचित मान्यता नहीं मिली। आज टेस्ला को एक दूरदर्शी वैज्ञानिक के रूप में सराहा जाता है।


(हेनरीटा लैक्स - Henrietta Lacks) - हीला कोशिकाएं हीला कोशिकाओं की खोज

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हेनरीटा लैक्स एक अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थीं, जिनकी कैंसर कोशिकाओं को बिना उनकी अनुमति के एकत्र किया गया। ये कोशिकाएं ‘हीला सेल्स’ के नाम से जानी जाती हैं और चिकित्सा शोध में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुईं। हालांकि, हेनरीटा का नाम और योगदान लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया। आज उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जाता है।


(अडा लवलेस - Ada Lovelace) - पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर

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अडा लवलेस को दुनिया की पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर माना जाता है। 19वीं सदी में, उन्होंने चार्ल्स बैबेज के ‘एनालिटिकल इंजन’ के लिए पहला एल्गोरिदम लिखा। उस समय महिलाओं का विज्ञान में योगदान कम ही पहचाना जाता था, इसलिए उनका नाम लंबे समय तक दबा रहा। अब उनके काम को नई रोशनी में देखा जा रहा है।


(जॉन एटंसॉफ - John Atanasoff) - पहले डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार पहला डिजिटल कंप्यूटर

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जब कंप्यूटर के आविष्कार की बात होती है, तो आमतौर पर एलन ट्यूरिंग या जॉन वॉन न्यूमैन जैसे नाम सामने आते हैं। लेकिन आधुनिक डिजिटल कंप्यूटर की नींव जॉन एटंसॉफ ने रखी थी। 1930 के दशक में, उन्होंने अपने छात्र क्लिफोर्ड बेरी के साथ मिलकर पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर बनाया, जिसे Atanasoff-Berry Computer (ABC) कहा जाता है।


(चिअन-शुंग वू - Chien-Shiung Wu) - परमाणु भौतिकी परमाणु भौतिकी में योगदान

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चिअन-शुंग वू एक प्रतिष्ठित भौतिकविद थीं, जिन्होंने 'पैरिटी वायलेशन' की अवधारणा को सिद्ध किया। यह प्रयोग कोलंबिया विश्वविद्यालय में किया गया था, लेकिन उनके योगदान को नजरअंदाज किया गया। उनके सहयोगियों को नोबेल पुरस्कार मिला, जबकि वू को वह मान्यता नहीं मिली जिसकी वे हकदार थीं।


गुमनाम नायकों का योगदान

विज्ञान के इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है जब किसी महत्वपूर्ण खोज का श्रेय उस व्यक्ति को नहीं मिला, जिसने वास्तव में उसे अंजाम दिया। यह आवश्यक है कि हम ऐसे गुमनाम नायकों को पहचानें और उनके योगदान को उचित सम्मान दें। विज्ञान किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का साझा प्रयास है और इसमें हर योगदान मायने रखता है।


(टेसुके ओगावा - Tsukue Ogawa) - विटामिन B1 विटामिन B1 की खोज

जापानी वैज्ञानिक ओगावा ने विटामिन B1 की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके शोध ने पोषण विज्ञान में नई दिशा स्थापित की, लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह पहचान नहीं मिली जिसके वे हकदार थे।


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